प्रयासों को प्रणालीबद्ध और समन्वित करना



“परामर्श बेहतर जागरूकता प्रदान करता है और अनुमान को निश्चय में बदल देता है। यह वह जगमगाता प्रकाश है जो एक अंधकारमय विश्व में राह दिखलाता और मार्गदर्शन करता है। हर चीज के लिए पूर्णता और परिपक्वता का एक मुकाम होता है और आगे भी होता रहेगा। परामर्श के माध्यम से समझ के उपहार की परिपक्वता प्रकट होती है।”


बहाउल्लाह

बहाई धर्म में कोई पंडित-पुरोहित नहीं होता। इसके मामलों का प्रशासन स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर गुप्त मतदान विधि से निर्वाचित संस्थाओं के माध्यम से होता है। यह चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से होते हैं जिसमें कोई भी चुनाव-प्रचार या प्रचार-प्रसार नहीं होता। इन संस्थाओं में चुने गए लोग व्यक्तिगत हैसियत से किसी अधिकार से सम्पन्न नहीं होते लेकिन वे जिस संस्था के सदस्य होते हैं उसे वैधानिक, कार्यकारी और न्यायिक अधिकार प्राप्त होते हैं। ये संस्थाएं बहाई सामुदायिक जीवन के आंतरिक पहलुओं के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होती हैं और साथ ही आध्यात्मिक एवं भौतिक संसाधनों को समुदाय के लिए प्रणालीबद्ध करने के लिए भी।

ये संस्थाएं बहाई प्रशासनिक व्यवस्था की अंग होती हैं और वे परामर्श के सिद्धान्त के आधार पर कार्य करती हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार, किसी भी संस्था के सदस्य हर विषय में सत्य की तलाश के एक साधन के रूप में परिचर्चा करते हैं। वे खुलकर अपने विचार प्रकट करते हैं लेकिन अपने व्यक्तिगत विचारों के प्रति आसक्त नहीं होते, बल्कि वे यथार्थ का व्यापक परिदृश्य समझने के लिए दूसरों के दृष्टिकोण से सीखने का प्रयास करते हैं। इस तरह चालबाज़ी, पक्षपात और अपने व्यक्तिगत एजेंडा या हितों को दूसरों पर थोपने के अन्य स्वरूपों का परित्याग किया जाता है।